आधुनिक भारत के निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण के बाद देश में बहुजन आंदोलन का पहिया रुक गया। तब कोई सोच नहीं सकता था कि बाबा साहब का आंदोलन आगे बढ़ पाएगा, लेकिन एक शख्स इस असंभव लग रहे हालात को संभव कर दिखाया। उनका नाम था साहब कांशीराम।
साहब कांशीराम ने ना सिर्फ आंदोलन के कारवां को आगे बढ़ाया, बल्कि सदियों से शोषण का शिकार आ रहे वर्गों को इस देश का हुक्मरान बनने का रास्ता भी दिखा दिया।
कामयाब हाऊ शकत नहीं की बात को उन्होंने हाऊ शकत है में बदल कर इतिहास कायम कर दिया। इसी के संबंध में साहब कांशीराम ने महाराष्ट्र में महत्वपूर्ण भाषण दिया।